Piles treatment in Hindi, बवासीर या पाइल्स को मेडिकल भाषा में
हेमरॉइड्स के नाम से जाना जाता है। यह समस्या आधुनिक समाज की लापरवाह और
बिगड़ी हुई जीवनशैली की एक देंन हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ पाइल्स की
समस्या बढ़ सकती है। अगर परिवार में किसी को यह समस्या रही है तो इसके होने
की आशंका बढ़ जाती है। यह मुख्य तौर पर एक आनुवांशिक समस्या भी है। एक
सर्वे के मुताबिक करीब 70 फीसदी लोगों को अपने जीवन में कभी न कभी इस गंभीर
समस्या का सामना करना पड़ता हैं।
आज हम आपको बवासीर से जुड़े कुछ घरेलू, प्राकृतिक, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, ऐलोपैथिक इलाज एवं उपचार साथ ही साथ बवासीर से जुड़े योगासन और एक्यूप्रेशर के बारे में बताने जा रहे हैं
बवासीर के कारण, लक्षण और प्रकार
1) दवा / medicines :- अगर बवासीर शुरूआती स्टेज में ही है तो उसे दवा देकर कंट्रोल करने की कोशिश की जाती हैं। दवा के साथ रक्त नलिका की सूजन कम करने के लिए लगाने के लिए क्रीम / दवा दी जाती हैं। इन्हे दिन में 3 बार लगाना होता हैं। आप उंगली से या applicator की सहायता से दवा लगा सकते है। उपयोग करने के बाद इन्हे साफ़ कर रख देना चाहिए। रोगी को कब्ज न हो इसलिए पेट साफ़ होने के लिए विरेचक / laxative दवा दी जाती हैं।
एनोवेट (Anovate), प्रॉक्टोसिडिल (Proctosedyl), फकटू (Faktu) पाइल्स पर लगाने की दवाएं हैं।
2) अस्पताल में भर्ती हुए बिना इलाज: अगर दवाओं से पाइल्स ठीक नहीं हो रहे हैं तो यह तरीके अपनाए जाते हैं। जिनमे मुख्यतः रोगी का चार तरीके से इलाज किया जाता हैं।
a)एंडोस्कोपिक स्केलरोथेरपी या इंजेक्शन थेरपी:- इसमें रोगी को बिना भर्ती किये फिनॉल आयल जैसा इंजेक्शन दिया जाता हैं। इससे मस्से सिकुड़ कर गिर जाते है या ठीक हो जाते हैं। जरुरत पड़ने पर रोगी को एक महीने बाद दोबारा बुलाकर इंजेक्शन दिया जाता हैं। रोगी के बवासीर के तकलीफ के अनुसार इंजेक्शन की मात्रा निर्धारित की जाती हैं।
खर्च: एक बार इंजेक्शन देने के प्रोसेस का खर्च करीब तीन हजार रुपये आ सकता है।
b) रबर बैंड लीगेशन:- इस उपचार में सर्जन मस्सों को पकड़कर उसके जड़ में एक रबर बैंड बिठा देते है जिससे मस्से को होनेवाला रक्त के संचारण को रोक दिया जाता हैं। इससे मस्से सुख जाते हैं। इसमें रोगी को अस्पताल में दाखिल होने की जरुरत नहीं होती हैं और एनेस्थेशिया की जरुरत भी नहीं होती हैं।
खर्च: इसमें भी एक बार का खर्च तीन हजार रुपये के करीब ही बैठ सकता है।
c) फोटोकोआगुलेशन थेरेपी :- इंफ्रारेड किरणों की सहायता से मस्सों के रक्त संचारण को रोक दिया जाता हैं। पहली और दूसरी स्टेज के बवासीर में यह प्रभावी उपचार पद्धति हैं।
d) इलेक्ट्रोथेरपी :- इसमें ऊष्मा ऊर्जा का उपयोग कर मस्सों का रक्त संचारण रोक दिया जाता हैं।
3)शल्य क्रिया / सर्जरी / ऑपरेशन : अगर दवा और अन्य साधारण तरीके से भी बवासीर ठीक नहीं होता है तो अंत में बवासीर को ऑपरेशन कर निकाल दिया जाता हैं। जिनमे मुख्यतः दो तरीको का चयन किया जाता हैं
a) हेमरॉयडेक्टमी: मस्से बहुत बड़े आकार के हैं और इलाज के दूसरे तरीके फेल हो चुके हैं तो परंपरागत तरीके से ओपन सर्जरी की जाती है, जिसमें अंदरूनी या बाहरी मस्सों को सर्जरी के जरिए काटकर निकालना पड़ता है। इस प्रक्रिया को हेमरॉयडेक्टमी कहते हैं। जनरल एनैस्थीजिया देकर सर्जरी की जाती है। सर्जरी के बाद इसमें मरीज को काफी दर्द का अनुभव होता है और रिकवर होने में भी थोड़ा ज्यादा वक्त लग जाता है।
b) एमआईपीएच: इस तरीके में मरीज को दर्द कम होता है, खून कम होता है और उसकी रिकवरी जल्दी हो जाती है। इसके अलावा इंफेक्शन के चांस भी कम होते हैं। इसे करने में 30 से 40 मिनट का वक्त लगता है। एनैस्थीजिया दिया जाता है। यह लोकल, रीजनल या जनरल भी हो सकता है। इस तरीके को स्टेपलर हेमरॉयडेक्टमी या स्टेपलर पाइल्स सर्जरी भी कहते हैं। इस में भी एक से दो दिन रुकना पड़ता है।
यह भी देखे
–अगर पाइल्स से खून नहीं आता। ऐसे पाइल्स अंदर भी हो सकते हैं और बाहर भी। ऐसी स्थिति में इनमें से किसी एक दवा की चार-चार गोली दिन में तीन बार ले सकते हैं।
एंटिम क्रूड 30 (Antim Crude), एसकुलस 30 (Aesculous), एलोस 30 (Aloes)।
– अगर पाइल्स से खून आता है।
हैमेमेलिस 30 (Hamamelis), मिलेफोलियम 30 (Millefolium), फॉस्फोरस 30 (Phosphorous)
– अगर पाइल्स में दर्द ज्यादा है।
रैटेनिया 30 (Ratanhia), पेकोनिया 30 (Paconia)
– प्रेग्नेंसी में अगर पाइल्स हैं।
कोलिन सोनिया (Colin Sonia), पल्सैटिला (Pulsatilla), सीपिया (Sepia)
1) दवाओं से इलाज :- अगर स्टेज 1 के पाइल्स हैं तो मरीज को पेट साफ करने की और मस्सों पर लगाने की दवाएं दी जाती हैं, नीचे दी गई दवाओं में से कोई एक ली जा सकती है।
– पंचसकार चूर्ण या सुश्रुत चूर्ण एक चम्मच रात को गर्म दूध या गर्म पानी से रोजाना लें।
– अशोर्घिनी वटी की दो गोली सुबह-शाम खाने के बाद पानी से लें।
– खाने के बाद अभयारिष्ट या कुमारी आसव चार-चार चम्मच आधा कप पानी में मिलाकर लें।
– मस्सों पर लगाने के लिए सुश्रुत तेल आता है। इसका प्रयोग कर सकते हैं।
– प्रोटोस्कोप के जरिये डॉक्टर क्षार का एक लेप लगाते हैं, जिससे मस्से सूख जाते हैं।
– त्रिफला, इसबगोल भी सोते वक्त लिए जा सकते हैं।
– दर्द बढ़ जाए तो एक टब गर्म पानी में एक चुटकी पौटेशियम परमैंग्नेट डालकर सिकाई करें। यह सिकाई हर मल त्याग के बाद करें। पाइल्स कैसे भी हों, अगर सूजन और दर्द है तो गर्म पानी की सिकाई करनी चाहिए।
2) क्षारसूत्र चिकित्सा – स्टेज 2 और 3 के पाइल्स हैं तो आयुर्वेद में सबसे ज्यादा प्रभावशाली पद्धति क्षारसूत्र चिकित्सा अपनाई जाती है।
i) डॉक्टर प्रोक्टोस्कोप यंत्र से बवासीर के मस्सो का निरक्षण कर मस्सों की जड़ में यह क्षारसूत्र का धागा बांध देते हैं। इस तरीके में एक मेडिकेटेड धागे का उपयोग किया जाता है, जिसे क्षारसूत्र कहते हैं। इस धागे को एक खास तरीके से कुछ आयुर्वेदिक दवाओं से बनाया जाता है।
ii) मस्सों के जड़ में दर्द न होने के कारण यह दर्दरहित प्रक्रिया होती हैं।
iii) अब मस्सों को अंदर धकेल दिया जाता है और धागे को बाहर लटकते रहने दिया जाता हैं।
iv) इस बांधे हुए धागे से असरदार आयुर्वेदिक दवा मस्से के जड़ पर अपना प्रभाव डालती है और लगभग 2 हफ़्तों में मस्से सिकुड़कर जाते है और यह धागा अपने आप बाहर गिर जाता हैं।
v) इन 2 हफ्तों में डॉक्टर मरीज को बुलाकर चेक करते है की धागा बराबर लगा है या नहीं और असरकर रहा है या नहीं।
vi) डॉक्टर रोगी को आहार संबंधी सलाह भी देते है जिससे कब्ज न हो।
vii) रोगी को गर्म पानी से सिकाई और व्यायाम करने की सलाह भी दी जाती हैं।
viii) इसमें केवल लोकल अनेस्थेशिआ ही दिया जाता है। रोगीको अस्पताल में दाखिल होने की जरुरत नहीं होती हैं।
ix) बवासीर में अगर खून के साथ दर्द भी होता है तो इसका मतलब कोई संक्रमण हुआ है। ऐसे में पहले संक्रमण को दवा देकर ठीक किया जाता है और बाद में क्षारसूत्र किया जाता हैं।
x) यह एक प्रभावी असरदार और सस्तीउपचार पद्धति हैं।
– इस तरीके से इलाज के बाद पाइल्स के दोबारा होने की आशंका खत्म हो जाती है।
– खर्च: 5 से 10 हजार रुपये के बीच आता है।
कपालभाति, अग्निसार क्रिया, पवनमुक्तासन, मंडूकासन, अश्विनी मुदा। शंख प्रक्षालन क्रिया भी कब्ज दूर करने सहायक है, इसलिए तीन-चार महीने में एक बार इस क्रिया को करने से कब्ज नहीं होती और पाइल्स की समस्या नहीं होती।
– अगर पाइल्स हैं तो गणेश क्रिया की जा सकती है। कोई भी योगिक क्रिया किसी योग्य योग गुरु से सीखकर ही करें।
ii) मलत्याग करते समय आजकल लोग या तो अखबार पढ़ते है या मोबाइल लेकर बैठते है। इस आदत को जितने जल्दी हो रोक लेना चाहिए। इससे भी मलत्याग ठीक से नहीं होता है और अधिक दबाव देने पर बवासीर की तकलीफ बढ़ जाती हैं।
iii) लम्बे समय तक बैठे या खड़े नहीं रहना चाहिए। हर आधे या एक घंटे पर ब्रेक लेकर थोड़ा टहलना चाहिए।
iv) हर दिन व्यायाम करना चाहिए। आप अपने क्षमता अनुसार कोई भी व्यायाम कर सकते हैं। वजन उठाने की जगह एरोबिक व्यायाम को अधिक प्राधान्य देना चाहिए।
v) रात का खाना जल्दी खाना चाहिए और खाने के 5 मिनिट बाद 10 से 15 मिनिट तक टहलना चाहिए।
vi) खाना खाने के बाद 2 घंटे तक नहीं सोना चाहिए।
vii) पर्याप्त मात्रा में ही आहार लेना चाहिए और उससे अधिक आहार नहीं लेना चाहिए।
क्या न खाएं
– नॉन वेज।
– मिर्च मसाले वाला खाना।
– केक पेस्ट्री और मैदे से बनी चीजें।
– जंक फूड और तैलीय खाना।
– चाय कॉफी-अल्कोहल और बीयर।
क्या खाएं
– पपीता, चीकू, अंजीर, केला, नाशपाती, अंगूर, सेब जैसे फल।
– सलाद जैसे गाजर मूली आदि।
– हरी पत्तेदार सब्जियां।
– चोकर वाला आटा, मल्टिग्रेन ब्रेड।
– दूध, फलों के जूस और बटर मिल्क जैसे दूसरे लिक्विड।
– दिन में आठ गिलास पानी
आज हम आपको बवासीर से जुड़े कुछ घरेलू, प्राकृतिक, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, ऐलोपैथिक इलाज एवं उपचार साथ ही साथ बवासीर से जुड़े योगासन और एक्यूप्रेशर के बारे में बताने जा रहे हैं
Piles treatment in Hindi
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा (ऐनस) के अंदरूनी और बाहरी क्षेत्र और मलाशय (रेक्टम) के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से ऐनस के अंदर और बाहर या किसी एक जगह मस्से जैसी स्थिति बन जाती है, जो कभी अंदर रहते हैं और कभी बाहर भी आ जाते हैं। बवासीर किसे कहते है और यह क्यों होता है यह जानने के लिए आप यहाँ click करे –बवासीर के कारण, लक्षण और प्रकार
Hemorrhoids | Piles treatment Allopathy,बवासीर की ऐलोपैथी इलाज
ऐलोपैथी में बवासीर का इलाज (Piles treatment) तीन तरीके से किया जाता हैं जो की हैं।1) दवा / medicines :- अगर बवासीर शुरूआती स्टेज में ही है तो उसे दवा देकर कंट्रोल करने की कोशिश की जाती हैं। दवा के साथ रक्त नलिका की सूजन कम करने के लिए लगाने के लिए क्रीम / दवा दी जाती हैं। इन्हे दिन में 3 बार लगाना होता हैं। आप उंगली से या applicator की सहायता से दवा लगा सकते है। उपयोग करने के बाद इन्हे साफ़ कर रख देना चाहिए। रोगी को कब्ज न हो इसलिए पेट साफ़ होने के लिए विरेचक / laxative दवा दी जाती हैं।
एनोवेट (Anovate), प्रॉक्टोसिडिल (Proctosedyl), फकटू (Faktu) पाइल्स पर लगाने की दवाएं हैं।
2) अस्पताल में भर्ती हुए बिना इलाज: अगर दवाओं से पाइल्स ठीक नहीं हो रहे हैं तो यह तरीके अपनाए जाते हैं। जिनमे मुख्यतः रोगी का चार तरीके से इलाज किया जाता हैं।
a)एंडोस्कोपिक स्केलरोथेरपी या इंजेक्शन थेरपी:- इसमें रोगी को बिना भर्ती किये फिनॉल आयल जैसा इंजेक्शन दिया जाता हैं। इससे मस्से सिकुड़ कर गिर जाते है या ठीक हो जाते हैं। जरुरत पड़ने पर रोगी को एक महीने बाद दोबारा बुलाकर इंजेक्शन दिया जाता हैं। रोगी के बवासीर के तकलीफ के अनुसार इंजेक्शन की मात्रा निर्धारित की जाती हैं।
खर्च: एक बार इंजेक्शन देने के प्रोसेस का खर्च करीब तीन हजार रुपये आ सकता है।
b) रबर बैंड लीगेशन:- इस उपचार में सर्जन मस्सों को पकड़कर उसके जड़ में एक रबर बैंड बिठा देते है जिससे मस्से को होनेवाला रक्त के संचारण को रोक दिया जाता हैं। इससे मस्से सुख जाते हैं। इसमें रोगी को अस्पताल में दाखिल होने की जरुरत नहीं होती हैं और एनेस्थेशिया की जरुरत भी नहीं होती हैं।
खर्च: इसमें भी एक बार का खर्च तीन हजार रुपये के करीब ही बैठ सकता है।
c) फोटोकोआगुलेशन थेरेपी :- इंफ्रारेड किरणों की सहायता से मस्सों के रक्त संचारण को रोक दिया जाता हैं। पहली और दूसरी स्टेज के बवासीर में यह प्रभावी उपचार पद्धति हैं।
d) इलेक्ट्रोथेरपी :- इसमें ऊष्मा ऊर्जा का उपयोग कर मस्सों का रक्त संचारण रोक दिया जाता हैं।
3)शल्य क्रिया / सर्जरी / ऑपरेशन : अगर दवा और अन्य साधारण तरीके से भी बवासीर ठीक नहीं होता है तो अंत में बवासीर को ऑपरेशन कर निकाल दिया जाता हैं। जिनमे मुख्यतः दो तरीको का चयन किया जाता हैं
a) हेमरॉयडेक्टमी: मस्से बहुत बड़े आकार के हैं और इलाज के दूसरे तरीके फेल हो चुके हैं तो परंपरागत तरीके से ओपन सर्जरी की जाती है, जिसमें अंदरूनी या बाहरी मस्सों को सर्जरी के जरिए काटकर निकालना पड़ता है। इस प्रक्रिया को हेमरॉयडेक्टमी कहते हैं। जनरल एनैस्थीजिया देकर सर्जरी की जाती है। सर्जरी के बाद इसमें मरीज को काफी दर्द का अनुभव होता है और रिकवर होने में भी थोड़ा ज्यादा वक्त लग जाता है।
b) एमआईपीएच: इस तरीके में मरीज को दर्द कम होता है, खून कम होता है और उसकी रिकवरी जल्दी हो जाती है। इसके अलावा इंफेक्शन के चांस भी कम होते हैं। इसे करने में 30 से 40 मिनट का वक्त लगता है। एनैस्थीजिया दिया जाता है। यह लोकल, रीजनल या जनरल भी हो सकता है। इस तरीके को स्टेपलर हेमरॉयडेक्टमी या स्टेपलर पाइल्स सर्जरी भी कहते हैं। इस में भी एक से दो दिन रुकना पड़ता है।
यह भी देखे
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Hemorrhoids | Piles treatment Homeopathy,बवासीर की होम्योपैथी इलाज
होम्योपैथी में पाइल्स का बहुत अच्छा इलाज (Piles treatment) है और मरीज अगर दो से तीन महीने लगातार इलाज करा ले तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। स्थिति के अनुसार नीचे दी गई दवाओं को अपने डॉक्टर की सलाह से लिया जा सकता है:-–अगर पाइल्स से खून नहीं आता। ऐसे पाइल्स अंदर भी हो सकते हैं और बाहर भी। ऐसी स्थिति में इनमें से किसी एक दवा की चार-चार गोली दिन में तीन बार ले सकते हैं।
एंटिम क्रूड 30 (Antim Crude), एसकुलस 30 (Aesculous), एलोस 30 (Aloes)।
– अगर पाइल्स से खून आता है।
हैमेमेलिस 30 (Hamamelis), मिलेफोलियम 30 (Millefolium), फॉस्फोरस 30 (Phosphorous)
– अगर पाइल्स में दर्द ज्यादा है।
रैटेनिया 30 (Ratanhia), पेकोनिया 30 (Paconia)
– प्रेग्नेंसी में अगर पाइल्स हैं।
कोलिन सोनिया (Colin Sonia), पल्सैटिला (Pulsatilla), सीपिया (Sepia)
Hemorrhoids | Piles treatment Ayurvedic,बवासीर की आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेद में बवासीर के इलाज (Piles treatment) के लिए मुख्य रूप से दो तरीको का चयन किया जाता हैं जो की हैं।1) दवाओं से इलाज :- अगर स्टेज 1 के पाइल्स हैं तो मरीज को पेट साफ करने की और मस्सों पर लगाने की दवाएं दी जाती हैं, नीचे दी गई दवाओं में से कोई एक ली जा सकती है।
– पंचसकार चूर्ण या सुश्रुत चूर्ण एक चम्मच रात को गर्म दूध या गर्म पानी से रोजाना लें।
– अशोर्घिनी वटी की दो गोली सुबह-शाम खाने के बाद पानी से लें।
– खाने के बाद अभयारिष्ट या कुमारी आसव चार-चार चम्मच आधा कप पानी में मिलाकर लें।
– मस्सों पर लगाने के लिए सुश्रुत तेल आता है। इसका प्रयोग कर सकते हैं।
– प्रोटोस्कोप के जरिये डॉक्टर क्षार का एक लेप लगाते हैं, जिससे मस्से सूख जाते हैं।
– त्रिफला, इसबगोल भी सोते वक्त लिए जा सकते हैं।
– दर्द बढ़ जाए तो एक टब गर्म पानी में एक चुटकी पौटेशियम परमैंग्नेट डालकर सिकाई करें। यह सिकाई हर मल त्याग के बाद करें। पाइल्स कैसे भी हों, अगर सूजन और दर्द है तो गर्म पानी की सिकाई करनी चाहिए।
2) क्षारसूत्र चिकित्सा – स्टेज 2 और 3 के पाइल्स हैं तो आयुर्वेद में सबसे ज्यादा प्रभावशाली पद्धति क्षारसूत्र चिकित्सा अपनाई जाती है।
i) डॉक्टर प्रोक्टोस्कोप यंत्र से बवासीर के मस्सो का निरक्षण कर मस्सों की जड़ में यह क्षारसूत्र का धागा बांध देते हैं। इस तरीके में एक मेडिकेटेड धागे का उपयोग किया जाता है, जिसे क्षारसूत्र कहते हैं। इस धागे को एक खास तरीके से कुछ आयुर्वेदिक दवाओं से बनाया जाता है।
ii) मस्सों के जड़ में दर्द न होने के कारण यह दर्दरहित प्रक्रिया होती हैं।
iii) अब मस्सों को अंदर धकेल दिया जाता है और धागे को बाहर लटकते रहने दिया जाता हैं।
iv) इस बांधे हुए धागे से असरदार आयुर्वेदिक दवा मस्से के जड़ पर अपना प्रभाव डालती है और लगभग 2 हफ़्तों में मस्से सिकुड़कर जाते है और यह धागा अपने आप बाहर गिर जाता हैं।
v) इन 2 हफ्तों में डॉक्टर मरीज को बुलाकर चेक करते है की धागा बराबर लगा है या नहीं और असरकर रहा है या नहीं।
vi) डॉक्टर रोगी को आहार संबंधी सलाह भी देते है जिससे कब्ज न हो।
vii) रोगी को गर्म पानी से सिकाई और व्यायाम करने की सलाह भी दी जाती हैं।
viii) इसमें केवल लोकल अनेस्थेशिआ ही दिया जाता है। रोगीको अस्पताल में दाखिल होने की जरुरत नहीं होती हैं।
ix) बवासीर में अगर खून के साथ दर्द भी होता है तो इसका मतलब कोई संक्रमण हुआ है। ऐसे में पहले संक्रमण को दवा देकर ठीक किया जाता है और बाद में क्षारसूत्र किया जाता हैं।
x) यह एक प्रभावी असरदार और सस्तीउपचार पद्धति हैं।
– इस तरीके से इलाज के बाद पाइल्स के दोबारा होने की आशंका खत्म हो जाती है।
– खर्च: 5 से 10 हजार रुपये के बीच आता है।
Hemorrhoids | Piles treatment Yogasan,बवासीर के लिए योगासन
– अगर इन योग क्रियाओं को नियम से किया जाए तो पाइल्स होंगे ही नहीं:कपालभाति, अग्निसार क्रिया, पवनमुक्तासन, मंडूकासन, अश्विनी मुदा। शंख प्रक्षालन क्रिया भी कब्ज दूर करने सहायक है, इसलिए तीन-चार महीने में एक बार इस क्रिया को करने से कब्ज नहीं होती और पाइल्स की समस्या नहीं होती।
– अगर पाइल्स हैं तो गणेश क्रिया की जा सकती है। कोई भी योगिक क्रिया किसी योग्य योग गुरु से सीखकर ही करें।
Hemorrhoids | Piles treatment Acupressure Points,बवासीर के लिए एक्यूप्रेशर पॉइन्ट
नाभि से 2 अंगुल (2 उंगली के चौड़ाई के बराबर) नीचे यह पॉइंट स्थित होता है। इसे दबाने से मलाशय की सफाई होती है जिससे कब्ज से मुक्ति मिलती है| पेट साफ़ होता हो लेकिन कई बार टॉयलेट जाने पर, तथा इर्रिटेबल बावेल सिंड्रोम हो, तो उसमें भी इस पॉइंट से आराम मिलता है इस पॉइंट को रोज 2 से 5 मिनट, पेट खाली होने पर दबाया जा सकता है| पीठ के बल लेटकर इस पॉइंट को उँगलियों से इतना दबाईये की ना तेज दर्द हो, ना कम दर्द होबवासीर के रोगियों ने अपने जीवनशैली में क्या बदलाव करना चाहिए ?
i) जब कभी को आपको मलत्याग का वेग आता है तो उसे रोककर नहीं रखना चाहिए। इससे कब्ज होता है और बवासीर की रक्त नलिकाओं पर दबाव पड़ता हैं।ii) मलत्याग करते समय आजकल लोग या तो अखबार पढ़ते है या मोबाइल लेकर बैठते है। इस आदत को जितने जल्दी हो रोक लेना चाहिए। इससे भी मलत्याग ठीक से नहीं होता है और अधिक दबाव देने पर बवासीर की तकलीफ बढ़ जाती हैं।
iii) लम्बे समय तक बैठे या खड़े नहीं रहना चाहिए। हर आधे या एक घंटे पर ब्रेक लेकर थोड़ा टहलना चाहिए।
iv) हर दिन व्यायाम करना चाहिए। आप अपने क्षमता अनुसार कोई भी व्यायाम कर सकते हैं। वजन उठाने की जगह एरोबिक व्यायाम को अधिक प्राधान्य देना चाहिए।
v) रात का खाना जल्दी खाना चाहिए और खाने के 5 मिनिट बाद 10 से 15 मिनिट तक टहलना चाहिए।
vi) खाना खाने के बाद 2 घंटे तक नहीं सोना चाहिए।
vii) पर्याप्त मात्रा में ही आहार लेना चाहिए और उससे अधिक आहार नहीं लेना चाहिए।
Diet Tips for Piles in Hindi | बवासीर के रोगियों के लिए खानपान
बवासीर के रोगियों के लिए आहार-विहार संबंधी विशेष ध्यान रखना आवश्यक हैं।क्या न खाएं
– नॉन वेज।
– मिर्च मसाले वाला खाना।
– केक पेस्ट्री और मैदे से बनी चीजें।
– जंक फूड और तैलीय खाना।
– चाय कॉफी-अल्कोहल और बीयर।
क्या खाएं
– पपीता, चीकू, अंजीर, केला, नाशपाती, अंगूर, सेब जैसे फल।
– सलाद जैसे गाजर मूली आदि।
– हरी पत्तेदार सब्जियां।
– चोकर वाला आटा, मल्टिग्रेन ब्रेड।
– दूध, फलों के जूस और बटर मिल्क जैसे दूसरे लिक्विड।
– दिन में आठ गिलास पानी